शनिवार, 8 जून 2019

कुमकुमादि तेल के फायदे / Kumkumadi Oil Benefits


इस कुमकुमादि तेल को मुख पर लगाने से व्यंग (झांई), नीलिका, तिल, माष (मसे), मुहाँसे, पद्मनि कंटक और जतुमणि का नाश होता है तथा मुंह चंद्रमण्डल के समान सुंदर हो जाता है।

इस कुमकुमादि तेल की मालिश रात को सोते समय मुख पर करें। मुँहासे, व्यंग, तिल और पद्मनी कंटक पर इसका कई बार प्रयोग करके देखा है कि अन्य लभ्य सौन्दर्यवर्द्धक और वर्णकारक द्रव्यों की अपेक्षा यह अधिक लाभप्रद सिद्ध हुआ है। दिन में लगाने से, धूप के योग से यह त्वचा को श्याम (काली) कर देता है। इस लिये रात को ही लगाये। दिन में न लगाये।  

घटक द्रव्य और निर्माण विधि (Kumkumadi Oil Ingredients): केशर, चन्दन, लोध्र, पतंग, लाल चन्दन, अगर, खस, मजीठ, मुलेठी, तेजपात, पद्माक, कमल, कुठ, गोरोचन, हल्दी, लाक्षा, दारूहल्दी, गेरू, नागकेशर, पलाश कुसुम (टेसू), फूलप्रियंगु, वट के अंकुर (कौंपलें), चमेली के फूल, सरसी, तुलसी और वच तथा मोम। इनमें से पहले 26 द्रव्यों के अलग अलग सूक्ष्म चूर्ण कर उनमें से 1.25-1.25 तोला लें और उन्हें एकत्र करके चटनी बनाकर रखलें। अंतिम द्रव्य अर्थात मोम को दूध में शुद्ध करके अलग रख लें।
तैल – 2 सेर।
जलीय द्रव्य – दूध 4 सेर, जल 4 सेर।
दूध, तैल, जल और कल्क द्रव्यों की पिष्टी सबको एकत्र कर मंदाग्नि पर पकावें, जब जलीयांश बिलकुल उड जाये तब इस तैल को उतारकर कपडे से छान लें और अच्छी तरह ठंडा होने पर चौडे मुंह की शीशी में भरकर रखलें।

Ref: यो. र. (योगरत्नाकर), भारत भैषज्य रत्नाकर -870  

Previous Post
Next Post

0 टिप्पणियाँ: