स्मृतिसागर रस
शोधक, आक्षेपनाशक, अग्निवर्धक, रक्तदोषनाशक तथा दोषानुलोमक (दोषों को
बराबर करती है) है। बच, ब्राह्मी और मालकंगनी के तेल के योग
द्वारा बनने के कारण यह नाड़ियों को विशेष शक्ति प्रदान करती है। मस्तिष्क पोषक, स्मृतिवर्धक, ज्ञानेन्द्रियों को बल देनेवाली और
ज्ञानेन्द्रियों के भ्रम से उत्पन्न हुए मानसिक रोगों को नाश करनेवाली है। इसके
सेवन से अपस्मार (Epilepsy) का नाश होता है। उम्मादोक्त समस्त
व्याधिया और अपस्मार में हितकर होती है।
मात्रा: 1 से 2
रत्ती सुबह-शाम घी में मिलाकर (1 रत्ती = 121.5 mg)
घटक द्रव्य (Smriti Sagar Ras Ingredients): शुद्ध पारद, शुद्ध गंधक, शुद्ध हरताल, शुद्ध मनसिल और ताम्रभस्म समान भाग। भावना: बच के
क्वाथ की 21 भावना, ब्राह्मी के रस की 21 भावना और मालकंगनी
के तेल की 1 भावना।
Ref: भा. भै. र. (भारत भैषज्य रत्नाकर), यो. र. (योग रत्नाकर),
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