शुक्रवार, 10 मई 2019

सोंठ के फायदे / Ginger Powder Benefits


आयुर्वेदिक मत से सोंठ (Ginger Powder or Dry Ginger) रुचिकर, आमवात (Rheumatism) नाशक, पाचक, चरपरी, हल्की, स्निग्ध, उष्णवीर्य, पाक में मधुर तथा कफ, वात और कब्जियत को दूर करनेवाली होती है। सोंठ वीर्यवर्धक, सारक (Laxative) तथा वमन (उल्टी), श्वास, शूल (दर्द), खांसी, ह्रदय रोग, श्लीपद (हाथिपगा), बवासीर, आफरा, पेट के रोग और वात रोगों को नाश करती है। यह अग्नितत्व प्रधान होने से जलांश (शरीर में रहे जल के अंश) का शोषण करती है। इसमें ग्राही धर्म भी है और कब्जियत को भेदन करने का धर्म भी रहता है।

सोंठ (Ginger Powder) कफ-वात नाशक, पचने में मधुर, चरपरी, वीर्यवर्धक, गरम, रोचक, ह्रदय को हितकारी, स्निग्ध, हल्की और दीपन होती है। यह पांडुरोग (Anaemia), संग्रहणी और पित्त का नाश करती है।

सोंठ (Dry Ginger) आयुर्वेद की एक सुप्रसिद्ध और घरेलू औषधि है। आयुर्वेद के मत से इसमें हजारों गुण है। यह सारे शरीर के संगठन को सुधारती है। मनुष्य की जीवनीशक्ति और उसकी रोगप्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाती है। ह्रदय, मस्तिष्क, रक्त, उदर (पेट), वातसंस्थान, मूत्रपिंड इत्यादि शरीर के सब अवयवों पर अनुकूल प्रभाव डालती है और उनमें पैदा हुई विकृति और अव्यवस्था को दूर करती है। आयुर्वेद में बननेवाले हजारों योगो में इसका सम्मेलन होता है। यह आयुर्वेद के सुप्रसिद्ध योग त्रिकटु (सोंठ, मिर्च और पीपर) का एक प्रधान अंग है।

सोंठ के उष्ण और वातनाशक धर्म की वजह से सब प्रकार की वातजनित वेदना में इसका उपयोग किया जाता है। जीर्ण (पुराना) संधिवात में विशेषकर वृद्ध मनुष्यों को आराम देनेवाली दो औषधियाँ होती है एक सोंठ और दूसरी चौवे हयात। रात्री में सोते समय एक तोला (12 ग्राम) सोंठ की फांट बनाकर देने से आमवात से ग्रसित वृद्ध स्त्री, पुरुषों को सुखदायक नींद आ जाती है। पेट में आफरा की वजह से अगर ह्रदय में शूल चलता हो तो उसमें सोंठ देने से वायु सरकर ह्रदयशूल मीट जाता है।

डॉ. देसाई के मत से सोंठ सुगंधित, उत्तेजक और उत्तम दीपन होती है। इसके सेवन से पाचन क्रिया शुद्ध हो जाती है और पेट में वायु (गेस) का संचय नहीं होने पाता। इस गुण की वजह से सोंठ आंतों के रोगों में बहुत उपयोग में ली जाती है।

सोंठ में कफनाशक धर्म होने की वजह से यह खांसी और दूसरे कफ रोगों में बहुत उपयोग में ली जाती है।

उपयोग:

विषम ज्वर (Malaria): बकरी के दूध के साथ 1.45 ग्राम सोंठ के चूर्ण की फाकी देने से गर्भवती स्त्री का विषम ज्वर छुट जाता है।  

ह्रदय रोग: सोंठ का कुछ कुनकुना (हल्का गर्म) क्वाथ पीने से ह्रदय रोग में लाभ होता है।

आमवात (Rheumatism): सोंठ और गिलोय का क्वाथ बनाकर पीने से बहुत दिनों का पुराना आमवात मिटता है।

मंदाग्नि: सोंठ के चूर्ण को गुड में मिलाकर नित्य खाने से अग्नि प्रदीप्त होती है।

उदर रोग (पेट के रोग): 4 ग्राम सोंठ (Ginger Powder) का क्वाथ पिलाने से मंदाग्नि, उदर रोग और जल के दोष मीटते है।

कमर दर्द: सोंठ के क्वाथ में अरंडी का तेल मिलाकर पिलाने से कमर, बस्ती (मूत्राशय) और कुक्षि (Belly) का दर्द मिटता है।

आमवात (Rheumatism): सोंठ और गोखरू का क्वाथ प्रातःकाल नित्य पीने से आमवात और कटिशूल (कमर दर्द) मिटता है।

अफरा और पेट दर्द: 30 ग्राम सोंठ को 500 ग्राम पानी में आधा घंटा तक खूब औटाने के बाद 30 ग्राम की मात्रा में पिलाने से अफरा और पेट दर्द शांत हो जाता है।

कमर, जांघ, पीठ का दर्द: अदरक का रस घी में मिलाकर पीने से कमर, जांघ और पीठ का दर्द नष्ट हो जाता है।

दांत का दर्द: दांत या मसूढ़े के दर्द में सोंठ का छोटा टुकड़ा उसी जगह दबाकर रखने से चैन मिल जाता है।

गठिया और पेट दर्द: अदरक के रस 250 ग्राम को 150 ग्राम तिल के तेल में मिलाकर गरम करें। जब तेल मात्र शेष रह जाए तब शीशी में भरकर सुरक्षित रखलें। इसकी मालिश से गठिया और पेट का दर्द ठीक हो जाता है।

अजीर्ण: अदरक का रस 1 तोला (1 तोला = 11.66 ग्राम), नीबू का रस आधा तोला, सौंचर नमक 1 माशा (0.97 ग्राम) को मिलाकर पीने से भयंकर से भयंकर अजीर्ण शांत हो जाता है। नित्य भोजन के बाद इसके सेवन से अजीर्ण कभी नहीं होता है।

मंदाग्नि: अदरक की 4 अंगुल लंबी गांठ को आग में भूनकर सैंधा नमक के साथ कुतर-कुतर कर थोड़ा-थोड़ा दाँतो से कुचलकर नित्य प्रातः खाली पेट सेवन करने से मंदाग्नि नष्ट होकर भूख चमक उठती है।

मसूढ़ो का फूलना: 3 ग्राम सोंठ प्रतिदिन 1 बार 4 दिन तक खाने से मसूढ़ो का फूलना और दांत के दर्द में लाभकारी है।

पेट दर्द: सोंठ और अजवायन 2-2 तोला में नीबू का रस (इतना डालें कि यह सब भली प्रकार भीग जाए) तदुपरांत छाया में सूखाकर बारीक पीसकर सुरक्षित रखलें। इस चूर्ण को भोजनोपरांत थोड़ा-थोड़ा खाने से पेट दर्द मिटता है, गंदी डकारें आना बंद हो जाती है। खाना पचता है, मैदे को शक्ति प्राप्त होती है।

अफरा और अजीर्ण: सोंठ 5 रत्ती (1 रत्ती = 121.5 mg), अजवायन 3 रत्ती, छोटी इलायची चूर्ण 15 रत्ती सभी को मिलाकर भोजनोपरांत सेवन करने से अफरा और अजीर्ण नष्ट हो जाते है।

सोंठ, काली मिर्च, छोटी पीपल, काला नमक, जीरा और भूनी हुई हिंग सभी सममात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रखलें। इसे 2-2 ग्राम की मात्रा में गरम पानी या नीबू के रस से सेवन करने से वायु खुलकर निकलती है। पेट दर्द और ह्रदयशूल (ह्रदय में दर्द) मीट जाती है। आध्यमान (अफरा) नाशक योग है।

5 तोला सोंठ को जौकूटकर 40 तोला जल में पकायें। जब 10 तोला जल शेष रहे, तब उतार छानकर उनकी 3 मात्रायें बनाकर दिन भर में (सुबह, दोपहर, शाम) सेवन करने से अरुचि, अग्निमांद्य, पीनस, प्रतिश्याय (जुकाम), श्वास, खांसी, पेट के रोग और जलदोष नष्ट होकर चित्त प्रसन्नता से खिल उठता है।

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