यह शोथारि लौह
सर्व प्रकार के शोथ (सूजन) रोग विशेषतया वृक्क (Kidney) शोथ में विशेष लाभप्रद है। इसमें शिलाजीत वृक्कप्रदाह (Irritation in Kedney) को शीघ्र ठीक करता है तथा लौह भस्म
वृक्कशोथजन्य पांडु रोग (Anaemia) को ठीक करता है। यवक्षार मूत्रल होने से
शोथ को हरता है।
मात्रा: 125 mg सुबह-शाम। अनुपान: त्रिफला क्वाथ, पुनर्नवा क्वाथ। प्रतिदिन दिन में 2 बार सेवन करने से
शोथ रोग (सूजन) निश्चय ही नष्ट हो जाता है। वह शोथ चाहे जहां का शरीर पर हो चाहे
किसी भी कारण से उत्पन्न हुआ हो। पथ्य में अम्ल (खट्टा) रस वाले द्रव्य न लें।
घटक द्रव्य: लोह
भस्म, सौंठ,
मिर्च, पीपल और यवक्षार।
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