मंगलवार, 30 अप्रैल 2019

कूष्मांडावलेह के फायदे / Kushmanda Avaleha Benefits


कूष्मांडावलेह रक्तपित्त, अम्लपित्त (Acidity), जलन, तृषा और कामला रोग (Jaundice) को नाश करता है; तथा आमाशय रस (Gastric Juice) की उग्रता को दमन कर अग्नि को प्रदीप्त करता है।

प्रथम विधि (Kushmanda Avaleha Ingredients): पेठे का स्वरस 400 तोले (1 तोला = 11.66 ग्राम), गाय का दूध 400 तोले और आंवले का चूर्ण 32 तोले को एकत्र मिलाकर धीरे-धीरे मंदाग्नि से पकावें। पिंड बंधने लगे तब 320 तोले बुरा मिलाकर अवलेह बना लेवें।

ग्रंथ: आ.भि. = आर्यभिषक

मात्रा: 25-25 ग्राम रोज दो बार दूध के साथ देवें।

दूसरी विधि:

कूष्मांडावलेह अम्लपित्त, जलन, तृषा, भ्रम (चक्कर), शोष, धातुक्षय (धातु का कम होना) और कामला आदि रोग को नष्ट करता है, तथा अग्नि को प्रदीप्त करके शरीर को पुष्ट बनाता है।  

मात्रा: 12 से 24 ग्राम दिन में 2 बार गोदुग्ध के साथ लेवें।

बनाने का तरीका (Kushamanda Avaleha Ingredients): पक्के पेठे को बारीक कसकर जल निचोड़ लेवें। फिर कसे हुए पेठे को सूखा, तांबे के पात्र में डाल घी में भूनकर लाल बना लेवें। पश्चात पेठे के सूखे चूर्ण के परिमाण में बादाम के मगज को जल में भिगो, ऊपर से पतले छिलके निकाल, पीसकर घी में भून लें। एवं पेठे के समान खोवा को भी घी में अलग भून लें। तत्पश्चात जायफल, लौंग, जावित्री, छोटी इलायची के दाने, दालचीनी, तेजपात, नागकेशर और कमलगट्टे का मगज (भीतर से हरी पत्ती निकाले हुए) 1 सेर पेठे में 2-2 तोले के हिसाब से ले बारीक चूर्ण कर पेठा, बादाम, खोवा और चूर्ण को मिला लें। फिर इन सब के वजन से दुगुनी शक्कर की चाशनी और 1 तोला केशर मिला अवलेह बना लेवें।

ग्रंथ: आ.भि. = आर्यभिषक

Previous Post
Next Post

0 टिप्पणियाँ: