महाविषगर्भ तेल की
मालिश से सब प्रकार के आम और शूलसह (दर्द करने वाले) वातरोग (Musculoskeletal Disorder), संधिवात,
कटिवात (कमर का दर्द), अर्धांगवात, गृध्रसी (Sciatica), दंडापतानक आदि वातरोग तथा कर्णनाद (कान में
आवाज आना), कान से कम सुनना आदि दूर होते है। वेदना को
शमन करने के लिये यह उत्तम प्रयोग है।
घटक द्रव्य (Maha Vishgarbha Oil
Ingredients): धतूरे के बीज, निर्गुंडी के बीज,
कड़वी तुम्बी के बीज, पुनर्नवा के मूल, अरंडी के बीज, असगंध,
पुंवाड़, चित्रकमूल,
सुहिंजने की छाल, काकमाची,
कलिहारी के मूल, नीम की अंतरछाल, बकायन की छाल, दशमूल,
शतावर, छोटे करेले, सारिवा, गोरखमुंडी,
विदारीकंद, सेहुंड,
आक, मेढ़ासिंगी,
सफेद कनेर के मूल, पीली कनेर के मूल, काकजंघा के मूल, अपामार्ग के मूल, बला, अतिबला,
नागबला, महाबला,
छोटी कटेली, अडूसे के पत्ते, गिलोय, प्रसारणी,
त्रिकटु, कुचिला,
रास्ना, कूठ,
पीला सोमल, नागरमोथा,
देवदारू, काला बच्छनाग, जवाखार, सज्जीखार,
पंचलवण, नीलाथोथा,
कायफल, पाठा,
भारंगी, नौसादर,
त्रायमाण, जवासा,
जीरा, इंद्रायण फल और काले तिल का तेल।
इसकी मात्रा और बनाने की विधी आपने बताया ही नही। कृपया ये भी बताये।
जवाब देंहटाएंइसकी मात्रा और बनाने की विधी आपने बताया ही नही। कृपया ये भी बताये।
जवाब देंहटाएंgood
जवाब देंहटाएंइसकी मात्रा व बनाने की विधि बताने का कष्ट करें
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