कांकायन वटी
विशेषतः वातज अर्श (बवासीर) को नाश करने में अति लाभदायक है, और मंदाग्नि, संग्रहणी तथा पांडु रोग (Anaemia) को भी दूर करती है। इसके सेवन से जुलाब लगता है।
जुलाब लगने से कोष्ठ (कोठा) साफ हो जाता है। परीक्षित है।
बनाने की विधि:
हरड़ 20 तोले (1 तोला = 12 ग्राम), जीरा,
पीपलामूल, चव्य,
चित्रकमूल, सौंठ,
कालीमिर्च और छोटी पीपल 4-4 तोले, जवाखार 8 तोले, भिलावा 32 तोले तथा सुरण 64 तोले लें। सबको कूटकर दो
गुना गुड मिलाकर 1-1 माशे की गोलियां बना लें।
मात्रा: एक से दो
गोली तक दिन में 2 बार मट्ठे अथवा जल के साथ दें। पहले और पीछे एक-एक माशा (1 माशा
= 1 ग्राम) घी चाट लें।
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