छर्दि रिपु वटी किसी भी कारण से होनेवाले वमन (उल्टी), अरुचि आदि व्याधियों को दूर करती है। छोटे बालकों के लिये
भी हितकर है। किटाणुजनित तीव्र वान्ती (उल्टी) हो तो छर्दि रिपु वटी के साथ मयूरपुच्छ भस्म और जहरमोहरापिष्टी 1-2
रत्ती (1 रत्ती = 121.5 mg) मिलाकर पोदीने के अर्क के साथ देना चाहिये।
वान्ती के वेग को शांत करने के लिये यह उत्तम औषधि है।
मात्रा: एक-एक गोली
5-10 बार आध-आध घंटे पर देवें।
घटक द्रव्य: कपूरकचरो
का बारीक चूर्ण का जल (चंदनादि अर्क) के साथ खरल करके चने के समान गोलियां बना लेवें।
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