शुक्रवार, 8 मार्च 2019

बृहत सितोपलादि चूर्ण के फायदे / Brihat Sitopaladi Churna Benefits


बृहत सितोपलादि चूर्ण सब प्रकार की खांसी, श्वास, जुकाम, मंद ज्वर (बुखार), दाह (जलन) और मंदाग्नि को दूर करता है; निमोनिया में भी अति हितकर है। यह चूर्ण श्वासवाहिनियों की श्लैष्मिक कला के क्षोभ (Irritation) को दूर करता है, जिससे शुष्क कास (सुखी खांसी) साथ में बुखार सरलता पूर्वक शमन हो जाता है।

जब प्रतिश्याय (जुकाम) में नीलगिरी तैल, पिपरमेंट, सौंठ, पिप्पली या अन्य उष्ण और शोषक औषधियों का सेवन अत्यधिक होता है, तब कफ सुखकर छाती में चिपक जाता है। बार-बार खांसी का वेग उपस्थित होता है; गले में या छाती में कफ भरा हो, ऐसा भास होता है; कफ की आवाज भी निकलती रहती है; किन्तु कफ सरलता से बाहर नहीं आता। किसी किसी रोगी को मंद मंद ज्वर (बुखार) भी आ जाता है। इस अवस्था में बृहत सितोपलादि चूर्ण का सेवन कराने पर कफ आर्द्र बन जाता है। और फिर सरलता से बाहर निकलता रहता है।

श्वास रोग में सोमल, मिर्च, पिप्पली आदि उग्र और उष्णवीर्य औषधियों का सेवन अधिक मात्रा में या अधिक समय तक होने और घी-दूध आदि स्निग्ध पदार्थो का सेवन न होनेपर छाती कफ से जकड़ जाती है; थोड़ा चलने या थोड़ासा श्रम लेने पर श्वास भर जाता है, खांसी चलने पर कफ की आवाज आती है, और श्वास गहरा नहीं चल सकता आदि लक्षण उपस्थित होते है। ऐसे रोगियों को पथ्य पालनसह यह बृहत सितोपलादि चूर्ण नियमित कुछ दिनों तक देते रहने से कफ, कास और ज्वरसह प्रतमक श्वास थोड़े ही समय में मर्यादा में आ जाता है।

मात्रा: 2 से 4 ग्राम दिन में 3 बार घी और शहद के साथ। सावधान: घी और शहद कभी भूलकर भी समान मात्रा में न लें यह विष (Toxin) के समान हो जाता है। या घी को शहद से कम लें या शहद को घी से कम लें।   

घटक द्रव्य: दालचीनी, छोटी इलायची, छोटी पीपल, मुलहठी, बनफशा के फूल, गाजवाँ, तालीसपत्र, वंशलोचन और मिश्री।

और पढे: 


Previous Post
Next Post

0 टिप्पणियाँ: