शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2019

योगराज गुग्गुल के फायदे / Yograj Guggulu Benefits


योगराज गुग्गुल सब प्रकार के वातरोग (Musculoskeletal Disorder), आमवात (Rheumatism), मृगी (Epilepsy), वातरक्त (Gout), कुष्ठ (Skin Diseases), दुष्टव्रण (Excoriation), बवासीर, पेट के रोग, मेह, शुक्रदोष, नाभिशूल, कृमि, ह्रदय रोग, क्षय (TB), भगंदर, और उदावर्त (पेट में गेस उठना) आदि रोगों को अनुपान-भेद से नाश करता है। 2 से 3 मास तक सेवन से सब पुराने रोग भी निवृत हो जाते है।

सूचना: जिसके मुंह में छाले, नेत्रों में दाह (जलन) और मलावरोध (कब्ज) रहता हो, उसे योगराज गुग्गुल नहीं देना चाहिये।

योगराज गुग्गुलु घटक द्रव्य: सौंठ, कालीमिर्च, पीपल, चव्य, पिपलामूल, चीते की छाल, भुनी हिंग, अजमोद, पीली सरसों, जीरा, कालाजीरा, रेणुक बीज (सामालू के बीज), इन्द्रजौ, पाठा, वायविडंग, गजपीपल, कुटकी, अतीस, भरंगी, बच, मूर्वा, तेजपात, देवदारु, कूठ, रास्ना, नगरमोथा, सैंधानमक, छोटी इलायची, गोखरू, घनिया, हरड़, बहेड़ा, आंवला, दालचीनी, खस, जावाखार और शुद्ध गुग्गुल।

मात्रा: 2 से 4 गोली तक दिन में 2 बार देवें।

अनुपान: सब प्रकार के वात रोग में रास्नादि क्वाथ। पेट के रोग में पुनर्नवादि क्वाथ। मेदवृद्धि (मोटापा) में शहद। प्रमेह में दारूहल्दी का क्वाथ। वातरक्त में गिलोय का क्वाथ। नेत्र रोग में त्रिफला का क्वाथ। शोथ (सूजन) में पुनर्नवादि क्वाथ। श्वेतकुष्ठ में नीम का क्वाथ। शूल (दर्द) में मूली का स्वरस। 

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