वज्रक्षार चूर्ण
गुल्म (Abdominal Lump), शूल (पेट दर्द), अजीर्ण, शोथ (सूजन), सब प्रकार के उदररोग (पेट के रोग), अग्निमांद्य, उदावर्त (पेट में गेस उठना) और प्लीहा (Spleen) आदि रोगों को थोड़े ही दिनों में नष्ट करता है।
घटक द्रव्य: समुद्र
नमक, सैंधा नमक,
बीड नमक, जवाखार,
काला नमक, सोहागे का फूला, सज्जीखार, सौंठ,
कालीमिर्च, पीपल,
हरड़, बहेड़ा,
आंवला, अजवायन,
जीरा और चित्रकमूल। भावना: आक और थूहर के दूध की भावना।
मात्रा: 2-2
ग्राम दिन में 2 बार देवें।
अनुपान: वायु
अधिक होने पर ताजा पानी। पित्त अधिक हो तो घी। तीनों दोषों के प्रकोप में
कांजी।
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