सौभाग्य सुंठी
पाक दो विधि से बनाया जाता है। इसकी दोनों विधि के घटक द्रव्य, उपयोग, मात्रा, बनाने
की विधि और ग्रंथ का नाम हमने यहा लिखा है। जब आप इस औषध को खरीदें तब उस पर लेबल
में ग्रंथ का नाम लिखा होगा, उससे आप पता लगा सकते है की वह किस विधि
से बनाया गया है और उसके फायदे क्या है?
सौभाग्य सुंठी
पाक के सेवन से बल, कांति,
सौभाग्य, बुद्धि,
स्मृति, वाणी,
सौंदर्य और सुकुमारना की प्राप्ति होकर योनि सिथिलता दूर होती है। स्त्रियों के
स्तन घट्ट होते है और 80 प्रकार के वात रोग, 20 प्रकार के कफ रोग, 40 जाति के पित्त रोग,
8 प्रकार के ज्वर (बुखार), 18 जाति के मूत्ररोग, एवं नासा (नाक), नेत्र,
कर्ण (कान), मुख,
मस्तिष्क के रोग, बस्तिशूल,
योनिशूल और अन्य सब प्रकार के रोग नष्ट होते है।
मात्रा: 12 से 24
ग्राम तक सुबह खाकर दूध पीवें।
सौभाग्य सुंठी पाक
बनाने की विधि
(Saubhagya Sunthi Pak Recipe):
112 तोले (1 तोला = 11.6638 ग्राम) सौंठ के चूर्ण को समभाग धृत (घी) मिलाकर भूनें।
फिर 768 तोले दूध मिलाकर उबालें। आधा दूध शेष रहे,
तब 112 तोले मिश्री डालकर पाक करें। पाक तैयार होने पर जायफल, त्रिफला, जीरा,
कालाजीरा, धनिया,
सौंफ, इलायची,
पीपल, नागरमोथा,
नेत्रबाला, मुनक्का,
बिदारीकंद, सफेद चंदन और छुहारा, सब 2-2 तोले, ताजी नारियल की गिरी 32 तोले, शिलाजीत और लौह भस्म 8-8 तोले, सोवा 16 तोले, चिरौंजी 16 तोले और निसोत 32 तोले का बारीक
चूर्ण डालें, और केशर आदि सुगंधित पदार्थ इच्छानुकूल मिलावें।
मिश्री 112 तोले मिलाने पर पाक अधिक चरपरा रहता है,
इस हेतु से आप 384 तोले मिश्री मिला सकते है।
Ref: आ.भि. (आर्य भिषक)
सौभाग्य सुंठी पाक
वातनाड़ी पौष्टिक, अग्निप्रदीपक, यकृतबलवर्धक (Liver Tonic), किटाणु-नाशक, स्तन्योत्पादक और अंत्र (Intestine)-शोधक है। इस पाक के सेवन से स्त्रियों के प्रसूति
(सुवा) रोग, वातरोग,
प्यास, उल्टी,
बुखार, शोष,
श्वास, खांसी,
तिल्ली, कृमि इत्यादि विकार नाश होते है।
मात्रा: 50-50 ग्राम
रोज सुबह खिलाकर ऊपर दूध पीलावें।
सूचना: यदि प्रसूता
को निद्रा नाश, मुखपाक (मुंह में छाले), छाती में जलन, खट्टी डकार आना या गरम गरम पतले दस्त
होना आदि विकार हो तो इस पाक का सेवन नही करना चाहिये।
सौभाग्य सुंठी पाक
बनाने की विधि
(Saubhagya Sunthi Pak Recipe):
सौंठ के 32 तोले चूर्ण को घी की भावना (मौण) देकर 4 सेर गाय के दूध में मिलाकर खोवा
बनावें। फिर खोवे में थोड़ा-थोड़ा घी डालते जाय और हिलाते जाय। 1 सेर घी डालने से दाना
अलग-अलग पड़ेगा। बाद में 4 सेर मिश्री की चाशनी कर उसमें खोवा डालदे। फिर धनिया 3 माशे
(1 माशा = 0.97 ग्राम), सौंफ 1.25 तोले, वायविडंग, सौंठ,
नागकेशर, काली मिर्च, पीपल और नागरमोथा 4-4 तोले का चूर्ण तथा थोड़े-थोड़े बादाम, पिस्ता, चिरौंजी मिलाकर पाक तैयार करें।
Ref: घ.वै.
(घरवैदूं)
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