लघु गंगाधर चूर्ण अतिसार (Diarrhoea)
और पेचिश में लाभदायक है। रक्तातिसार (खून के दस्त) वाले बलकों को भी दिया जाता
है। और ग्रंथकरों ने इसमे सौंठ मिलाकर ‘अतिसारगजकेशरी’ नाम दिया है। यह चूर्ण सामान्य औषधियों से बना है, परंतु नूतन (नया) तीव्र अतिसार जिसमें दिन में 25-50
दस्त होते हों, रोगी बिलकुल गल गया हो, ऐसी अवस्था में भी इसने अनेकों को बचाया है।
घटक द्रव्य:
नागरमोथा, इन्द्रजव,
बेलगिरी, लोद,
मोचरस और धाय के फूल।
मात्रा: 2 से 4
ग्राम मट्ठे या चावलों के धोवन के साथ दिन में 3-4 बार। तीव्र रोग में कम मात्रा
में अधिक बार देवें।
सूचना: बुखार हो
तो जल के साथ दें।
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