सारस्वत धृत में
से 10 से 20 ग्राम तक घी दूध में डालकर प्रतिदिन दो बार पीने से मनुष्य का कंठ
सुधर जाता है। उसकी स्मरण शक्ति ऐसी प्रबल हो जाती है कि कठिन से कठिन शास्त्र भी
सिर्फ एक बार पढ़ने से उसको याद हो जाते है। सब जाती के कुष्ट (Skin Diseases) इससे दूर होकर मनुष्य का शरीर चंद्रमा की
कांति की तरह हो जाता है। हर एक प्रकार की बवासीर,
पांच प्रकार के वायु गोले तथा पांचों जाती की खांसी इससे दूर होती है। बांज
स्त्रीयां इसके सेवन से गर्भ धारण के योग्य हो जाती है और क्षीण वीर्य वाले
पुरुषों में भी रमण शक्ति पैदा हो जाती है। बल और जठराग्नि में भी इसके सेवन से
वृद्धि होती है।
सारस्वत धृत घटक
द्रव्य: ब्राह्मी स्वरस, गाय का घी,
लींडी पीपल, वायविडंग,
सैंधानमक, शक्कर,
हल्दी, मालती के फूल, कूट, नीशोथ,
हरड़ और घोडा बच।
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