शनिवार, 19 जनवरी 2019

पुनर्नवासव के फायदे / Benefits of Punarnavasavam


पुनर्नवासव शोथ (सूजन), उदररोग (पेट के रोग), प्लीहा वृद्धि (Spleen Enlargement), अम्लपित्त (Acidity), यकृत वृद्धि (Liver Enlargement), गुल्म (Abdominal Lump), बुखार आदि कष्टसाध्य रोगों को दूर करता है।

यह औषध उत्तम मूत्रल (पेशाब की मात्रा बढ़ाने वाला) और ह्रद्य (ह्रदय को ताकत देने वाला) है। इस हेतु से ह्रदय, यकृत, प्लीहा और वृक्कों (Kidneys) पर लाभ पहुंचाता है। इनमे से किसी के भी विकार से सूजन आने पर उसे दूर करता है। एवं ह्रदय को सबल तथा यकृत और वृक्कों को कार्यक्षम बनाता है। अतः सर्वांग शोथ (पूरे शरीर में सूजन) पर पुनर्नवासव अति कार्यकारी औषधि है।
सूजन तीव्र होने पर पुनर्नवासव के साथ सारिवासव मिलाना चाहिये; जिससे सूजन की सत्वर निवृति हो जाय। अंतर अवयवों के शोथ (सूजन) पर भी यह हितकर है।

यकृत वृद्धि, प्लीहा वृद्धि, वातज गुल्म और कफज गुल्म के विकार में पुनर्नवासव अच्छा सहायक होता है।

घटक द्रव्य: सौंठ, कालीमिर्च, पीपल, हरड़, बहेड़ा, आंवला, दारूहल्दी, गोखरू, छोटी कटेली, बड़ी कटेली, अड़ूसा के पत्ते, एरंड की जड़, कुटकी, गजपीपल, पुनर्नवा, नीम की अंतरछाल, गिलोय, सूखी मूली, धमासा, पटोलपत्र, धाय के फूल, मुनक्का, मिश्री और शहद।

मात्रा: 10 से 20 ml तक समान जल मिलाकर सुबह-शाम।

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