मेदोहर गुग्गुल
मेदोरोग (मोटापा), कफ प्रकोप से होने वाली व्याधियां और
आमवात (Rheumatism) को दूर करता है। यह गुग्गुल मेद (चरबी)
को जलाता है, पचन क्रिया बढ़ाता है और नयी मेद की
उत्पत्ति को रोकता है। मेद विकृति को दूर करने के लिये यह निर्भय और उत्तम औषधि
है। इसका सेवन 4-6 मास तक करना चाहिये। श्लीपद (हाथीपगा) में हितावह है।
मेदोहर गुग्गुल
बनाने की विधि:
सौंठ, कालीमिर्च, पीपल,
चित्रकमूल, नागरमोथा,
हरड़, बहेड़ा,
आंवला और वायविडंग, ये नव औषधियां 1-1 भाग लेवें। सब के समान
शुद्ध गुग्गुल लें। गुग्गुल को थोड़ा थोड़ा एरंड तैल मिला मिलाकर कुटें। लगभग चौथाई
तैल लग जायेगा।
अच्छी तरह मुलायम
होने पर शेष नव औषधियों का कपड़छान चूर्ण थोड़ा थोड़ा मिलाकर कुटें। सब चूर्ण एक जीव
हो जाने पर 2-2 रत्ती (250 mg) की गोलियां बना लें।
मात्रा: 2 से 4
गोली दिन में दो बार ताजे पानी से लेवें।
सूचना: अधिक घी, अधिक शक्कर, अधिक चावल और प्रकृति के प्रतिकूल आहार
का त्याग करना चाहिये और हो सके उतना शारीरिक परिश्रम करना चाहिये।
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