सब से प्रसिद्ध और
मूल्यवान औषधि मकरध्वज है। मकरध्वज वटी (Makardhwaj Vati) के सेवन से बीसों प्रकार के प्रमेह, वीर्य का पतलापन,
मूत्र के साथ या स्वप्न के साथ वीर्य का जाना,
दुर्बलता, नपुंसकता,
स्तंभन शक्ति का नाश, आंखों के सामने अंधेरा होना, शिर दर्द, दस्त का साफ न होना, किसी काम में चित्त न लगना, नसों की कमजोरी, स्त्रियों का प्रदर, मूत्रकृच्छ, सोजाक (Gonorrhea),
मूत्र नली का दर्द, पेशाब का बार-बार आना आदि वीर्य-विकार दूर
होते है। जो लोग चंद्रोदय (मकरध्वज) के गुणों को जानते है वे इन गोलियों के प्रभाव
में संदेह नही कर सकते। अनुपान भेद से यह अनेक रोगों को दूर कर सकती है।
प्रमेह के साथ होने
वाली खांसी, जुकाम,
सर्दी, कमर का दर्द, मंदाग्नि, स्मरण शक्ति का नाश आदि व्याधियां भी दूर
होती है। क्षुधा (भूख) बढ़ती है, शरीर ह्रष्ट पुष्ट होता है। जो लोग अनेक औषधियां
खाकर हताश होगये है, जिनका विश्वास औषधियों से उठ गया है, उन निराश पुरुषों को मकरध्वज वटी (Makardhwaj Vati) बंधु तुल्य सुख देती है।
मात्रा: प्रातः और
रात्री को सोते समय एक एक गोली निगल ऊपर से गाय का दूध औंटाकर ठंडा कर मिश्री मिलाकर
पीना चाहिये। दूध गाय का न मिले तब बकरी का और गाय-बकरी दोनों का न मिले तब भैंस का
लेना चाहिये।
मकरध्वज वटी घटक द्रव्य (Makardhwaj Vati Ingredients): मकरध्वज 5 भाग, जायफल, मिर्च,
लौंग का चूर्ण, कपूर और कस्तुरी प्रत्येक 5-5 भाग। भावना:
नागरवेल के पान का रस। पूर्णचंद्रोदय ही मकरध्वज है। मकरध्वज ह्रद्य (ह्रदय को बल देने
वाला), वृष्य (पौष्टिक), रसायन और वाजीकरण है। इसके सेवन से क्षय, श्वास, खांसी,
मंदाग्नि, अम्लपित्त,
मस्तिष्क दौर्बल्य और शैथिल्य आदि रोग नष्ट होते है।
Makardhwaj
Vati is aphrodisiac, tonic and nutritious. It cures semen problems like night
fall, low sperm count etc.
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