लक्ष्मणा लौह स्त्रियों के गर्भाशय की
विकृति को नष्ट करता है। गर्भाशय प्रदाह (Inflammation in Uterus), मासिकधर्म समय पर न आना, मासिकधर्म आनेके समय कष्ट होना, मासिकधर्म बहुत कम आना,
मासिकधर्म मे रक्त नीला, काला,
पीला या दुर्गन्धयुक्त होना, गर्भाशय मे शूल (दर्द) चलना, गर्भाशय मे भारीपन बना रहना आदि विकार दूर होकर
गर्भाशय शुद्ध बन जाता है तथा गर्भाशय विकार से उत्पन्न पांडुता (शरीर पीला पड़ जाना), द्रष्टिमांद्य, शिरदर्द,
कटिपीड़ा (कमर का दर्द) आदि भी निवृत होकर शरीर सबल और सुन्दर बन जाता है। यह योग
संतानोत्पत्तिकारक भी माना गया है।
मात्रा: 1 से 2
गोली जल, अशोकारिष्ट या रोगानुसार अनुपानके साथ
दिनमे दो बार देवें।
laxmana louh ki kam aathi he mere ko
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