रविवार, 23 दिसंबर 2018

सारिवादि वटी | कान के रोगों में उत्तम औषध | Benefits of Sarivadi Vati


सारिवादि वटी कान का बहना, कान का गूंजना, कम सुनना आदि अनेक रोगों में लाभदायक है, और समस्त प्रमेह, रक्तपित्त (Haemoptysis), क्षय (TB), श्वास, नपुंसकता, पुराना बुखार, अपस्मार (Epilepsy), मोह, बवासीर, ह्रदय रोग, मदात्यय (शराब का नशा) सबको दूर करती है। मस्तिष्क में किसी उष्ण औषधि के कारण या अन्य कारण से उष्णता पहुंचने के कारण कान में बधिरता आई हो या वातवाहिनियों (Air Ducts) में विकृति होने से कर्णरोग (कान के रोग) हुए हो, या वातप्रकोप से कान में पीडा होती हो, उसपर यह हितावह है। इसके सेवन के साथ बाह्य उपचार भी करते रहना चाहिये। यदि रक्त (खून) में मूत्रविष वृद्धि, उष्णता, आमविष प्रवेश आदि कारणो से धमनी-विकार या ह्रदय की निर्बलता, कम सुनना और कान गूंजना आदि उपद्रव उत्पन्न हुए हो तो यह रसायन ह्रदय और धमनी को सबल बनाकर कर्ण-रोग को दूर करता है।

मात्रा: 1-1 गोली दिन में 2 बार ताजा दूध, चंदन के अर्क अथवा शतावरी के क्वाथ के साथ दें।

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