शनिवार, 27 अक्तूबर 2018

सर्वांग सुंदर रस के फायदे / Benefits of Sarvang Sundar Ras


सर्वांग सुंदर रस बालको के रक्षण के लिये महा औषध है। ज्वरध्न (बुखार का नाश करने वाला), दीपन, बल और कांति को बढ़ाने वाला है। भयंकर संग्रहणी (Chronic Diarrhoea), प्रवाहिका (पेचिश), सूतिका रोग, रक्तार्श (जिस बवासीर में खून गिरता है) और अन्य रक्तज रोगों को नष्ट करता है। यह रस बालको के समान स्त्रियों को भी प्रदर आदि रोगों में हितकर है।

बाहर के दूषित दूध से उत्पन्न अतिसार (Diarrhoea), मल मे पानी ही पानी, या पानी मिश्रित दूषित दूध, बार-बार जल समान जुलाब होते रहना, मल में खट्टीसी दुर्गंध, मल का सफेद रंग या आटे में जल मिला हो ऐसा रंग, साथ में थोड़ी उल्टी, अफरा, बार-बार डकार आदि लक्षण होते है। इनमें सर्वांग सुंदर रस उत्तम लाभदायक है।

गर्मी के दिनों में दूध फट जाने या किटाणु-मिश्रित हो जाने से किसी-किसी बच्चे को भयंकर जवरातिसार (Diarrhoea with fever) हो जाता है। प्रारंभ मे बार-बार हरे, पीले, गर्म-गर्म जल के समान दस्त होते है, बाद मे जुलाब बार-बार परंतु मल या जल थोड़े-थोड़े परिणाम में आता है। साथ-साथ उल्टी, बेचैनी, प्यास आदि भयंकर लक्षण भी होते है। प्यास के कारण बालक अति बेचैन होता है। यदि दूध अधिक दिया जाता है, तो अतिसार बढ़ जाता है, और प्यास भी अधिक लगती है। ऐसी स्थिति में दूध बंद कर देना चाहिये। (संतरा या मोसंबी का रस, अथवा बकरी का दूध दे सकते है)। चावल की खील को उबाल-छान कर जल को पिलाते रहना चाहिये और सर्वांग सुंदर रस बहुत थोड़े प्रमाण में बार-बार देते रहना चाहिये। यदि अफरा अधिक हो और जुलाब बार-बार थोड़े-थोड़े प्रमाण में परंतु अधिक समय होते हों, और बुखार भी अधिक हो तो, लक्ष्मीनारायण रस को प्रवालपिष्टी के साथ मिलाकर देना अधिक हितकर है। बड़े-बड़े जुलाब जल-समान प्रवाही पीले रंग वाले होते हों, तो सर्वांग सुंदर रस देना चाहिये। साथ में कम मात्रा में दूध की शक्कर (Lactose) और सैंधा नमक देते रहने से सत्वर लाभ पहुंचता है। इस तरह दुग्ध विकृति, अन्न-विष या अन्य कारणो से उत्पन्न ज्वरातिसार में भी यह रस अति हितकर है।

मात्रा: 62.5 से 125 mg माता के दूध या शहद के साथ देवें।    

Sarvang Sundar Ras is very useful for children’s diseases. It improves digestion, cures fever, diarrhoea and strengthens the body.

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