सोमवार, 8 अक्तूबर 2018

लोहासव के फायदे / Benefits of Lohasava


लोहासव अति अग्निप्रदीपक है। पांडु (Anaemia), शोथ (सूजन), गुल्म (Abdominal Lump), उदररोग (पेट के रोग), अर्श (Piles), प्लीहावृद्धि (Spleen Enlargement), पुराना बुखार, खांसी, श्वास, भगंदर, अरुचि (Anorexia), ग्रहणी (Chronic Diarrhoea) और ह्रदय रोग का नाश करता है।

लोहासव में अग्नि प्रदीप्त करने के लिये त्रिकटु, अजवायन, चित्रकमूल और नागरमोथा मिलाया है। पेट को शुद्ध करने के लिये और कृमि का नाश करने के गुण के लिये त्रिफला, वायविडंग और नागरमोथा मिलाया है। इन सब के साथ लोह भस्म का संयोग होने से सब के गुण में अति वृद्धि हो जाती है। इसकी रचना पर लक्षय देने पर पता चलता है कि, जिस पांडु रोग में अग्निमांद्य लक्षण प्रबल हो, उस पर यह आसव लाभ पहुंचाता है।

मलेरिया आदि संक्रामक बुखार, मानसिक चिंता और पेट के कृमि आदि कारणो से पांडुता (पूरा शरीर पीला पड जाना) आ जाती है। जब रक्त में रक्ताणु मिश्रण विधान (Oxidation) विकृत हो जाता है, तब रक्त अशुद्ध बन जाता है। रक्त-जीवाणु (Blood Cells) कम हो जाते है। धमनियों कि दिवारे मृदु हो जाती है और रक्ताभिसरण क्रिया (Blood Circulation) बलपूर्वक नहीं हो सकती। फिर कोशिकाओ में योग्य रक्त नहीं पहुंच सकता। जिस से शरीर अति शिथिल और निस्तेज हो जाता है। साथ-साथ शरीर को योग्य पोषण न मिलने से इंद्रिया स्व-कार्यक्षम नहीं रह सकती। मस्तिष्कविकृति होने पर रोगी चिड़चिड़ा हो जाता है या निरुत्साही और उदासीन बन जाता है। फिर आंख, आदि की श्लैष्मिककला (Mucous Membrane) में खून का अभाव, शिरदर्द, तंद्रा, चक्कर आना, हाथ-पैरो पर सूजन, हाथ-पैर ठंडे हो जाना, निंद्रावृद्धि आदि लक्षण प्रतीत होते है। ऐसे लक्षण वाले पांडु रोग (Anaemia) पर यह आसव सत्वर लाभ पहुंचाता है। यह पाचनक्रिया बढ़ाता है तथा रक्ताणुओ की वृद्धि कर रक्ताभिसरण (Blood Circulation) क्रिया को सबल बनाकर स्वास्थ्य की प्राप्ति करा देता है।

अनेक बार लंघन (उपवास) आदि कारणो से रक्तरंजक द्रव्य (Haemoglobin) की कमी हो जाने पर शरीर निस्तेज दिखता है। इस रक्तरंजक की न्यूनता को भी यह लोहासव दूर करता है।

कभी-कभी युवा स्त्रियों को एक प्रकार का हलिमक रोग हो जाता है। उसमें त्वचा हरी-पीली हो जाती है। रक्त में रक्ताणुओ की संख्या आधी भी नहीं रहती। देखने में रोगिणी पुष्ट भसती है किन्तु ह्रदय में घबराहट, मंद बुखार (रक्ताणुओ की कमी से एक प्रकार का बुखार होने लगता है), अग्निमांद्य, चक्कर आना, कब्ज, थोड़े परिश्रम से श्वास भर जाना, श्वेत प्रदर (White Discharge), मासिकधर्म कष्ट से और असमय पर आना, तथा निर्बलता आदि लक्षण उपस्थित होते है। इस विकार पर लोहासव का सेवन अमरूत के समान उपकारक है। साथ-साथ रुग्णा (रोगी स्त्री) को खुल्ली हवा तथा अग्निबल के अनुसार घी और पौष्टिक आहार की योजना कर देनी चाहिये।

अनेक बार उदरकृमि (पेट के कृमि) उपस्थित हो जाने से पांडु रोग (Anaemia) की प्राप्ति होती है। उदरकृमि होने पर कुच्छ अंश में ज्वर (बुखार) बना रहना, उल्टी करने की इच्छा, उल्टी होना, पेट में दर्द, अफरा, भूख न लगना, मुखमंडल पर निस्तेजता, ह्रदय में कंप होना, चक्कर आना, आम और रक्त-मिश्रित दस्त तथा पैर, नाभि और मूत्रेन्द्रिय (Penis) पर सूजन आदि लक्षण उपास्थि होते है। इस विकार पर पहले कृमिनाशक औषधि का सेवन कराना चाहिये। फिर लोहासव देने से शरीर सत्वर तेजस्वी और बलवान बन जाता है। तथा रक्त की न्यूनता (खून की कमी) और अग्निमांद्य, दोनों दूर हो जाते है।

पांडुरोग में उत्पन्न लक्षणरूप शोथ (सूजन), पांडुरोग में इंद्रिया अपना कार्य करने के लिये असमर्थ हो जाने से और पचन विकृति हो जाने से उत्पन्न गुल्म (Abdominal Lump), अर्श (Piles) और पेट में अफरा, अपचन, अपचन के बाद होने वाला कब्ज या बार-बार दस्त होना, पेट दर्द, प्लीहावृद्धि (Spleen Enlargement), खांसी, श्वास, त्वचा विकार, अरुचि, ग्रहणी, ह्रदय विकृति आदि हो जाने पर उन सबको यह लोहासव दूर करता है।

लोहासव घटक द्रव्य: लोह भस्म, सौंठ, काली मिर्च, पीपल, हरड़, आंवला, बहेड़ा, अजवायन, वायविडंग, नागरमोथा, चित्रकमूल की छाल, ये 11 औषधियाँ 16-16 तोले,  धाय के फूल 80 तोले, शहद और गुड 400-400 तोले।

मात्रा: 10 ml से 20 ml बराबर मात्रा में पानी मिलाकर सुबह-शाम।

Lohasava is useful in anaemia, tumour, swelling, abdominal diseases, spleen enlargement, cough, asthma, chronic diarrhoea, heart diseases and anorexia. It improves blood quality, blood circulation and increases haemoglobin in the blood.
Previous Post
Next Post

21 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. कृपया कारण बताएं

      हटाएं
    2. Ji karan kuchchh nahi hai. Lekin hum yaha se chhote bachche ko koi bhi dava pilane ki salah nahi de sakte. 5 saal se chhote bachche ko koi bhi dava pilane se pahale kripya chikitsak ki salah le. Aapka bahut bahut dhanyavad.

      हटाएं
  2. बीपी लो वाले मरीज को पिला सकते है
    या नहीं

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. Brother, chhote bachcho ko kabhi bhi koi bhi dava ayurveda expert ki salah lekar hi pilaye. Aap koi najdiki ayurved expert ki salah le sakte hai. kyonki yah website sirf aur sirf jankari ke liye hai yah medical consultation ka option nahi hai. Thank you so much!

      हटाएं
    2. Chronic kidney disease ke liye de sakte hai kya sir??? please reply kijiye sir please... patient ki age 20 years hai sir....

      हटाएं
  3. 10 या 20 मिली0 दवा कितने समय तक पीनी है? का इस दवा (लोहसव) को लेने का कोई कोर्स भी है ?

    जवाब देंहटाएं
  4. Sir gray hair ko rokne k lia lohasav lia ja skta h kia ...or esse mensuration cycle pr koi side effects to nh pdega....thankyou

    जवाब देंहटाएं
  5. my name is ubaidorrahman mai bahot preshan hun sir mera peat nahi sahi nahi rahta mere chale pade hai 5 sal se mujhe batroom full nahi hota mujhe neend nahi atti aour mujhe kamjori bhi 5 year se hai mai yah dawa kha raha hun lohasav kiya yah dawa mere liye sahi hai ko side effect hai ya nahi

    जवाब देंहटाएं
  6. Chronic kidney disease ke liye de sakte hai kya sir??? please reply kijiye sir please... patient ki age 20 years hai sir....

    जवाब देंहटाएं