शुक्रवार, 26 अक्तूबर 2018

गोक्षुरादि गुग्गुल के फायदे / Benefits of Gokshuradi Guggulu


गोक्षुरादि गुग्गुल प्रमेह, मूत्रकुच्छ (मूत्र में जलन), मूत्राघात (मूत्र की उत्पत्ति कम होना), प्रदर, वातरोग (शरीर में किसी भी अंग में दर्द या पूरे शरीर में दर्द होना), वातरक्त (Gout), शुक्रदोष और पथरी आदि रोगों का नाश करता है।

कभी कभी रक्तप्रदर का योग्य उपचार न करने और दुर्लक्ष्य करने पर बहुत बढ़ जाता है। भारतीय स्त्री समाज में लज्जावश रोगों को छिपाते है, जिस से रक्तप्रदर और रक्तगुल्म दोनों बहुत बढ़ जाते है। फिर अशक्ति अधिक आ जाती है। उस अवस्था में गोक्षुरादि गुग्गुल, वंग भस्म, मूत्रदाहान्तक चूर्ण और अमृता सत्व मिलाकर दिन में 4 बार दाडिमावलेह के साथ देते रहने और अशोकारिष्ट सुबह-शाम देते रहने से दो मास में दोनों विकार नष्ट हो जाते है।

मूत्राशय में अश्मरीकण (शर्करा और सिकता) उपस्थित होने पर मानसिक अस्वस्थता, सांधो- सांधो में पीडा, अपानवायु की शुद्धि न होने से उदर (पेट) में अफरा आना, कंप आदि लक्षण उत्पन्न होते है, उसपर यह गोक्षुरादि गुग्गुल गोखरू के क्वाथ और दशमूलारिष्ट के साथ दिन में 3 समय देते रहने और भोजन के प्रारंभ में हिंगवाष्टक चूर्ण सेवन करने से छोटे-छोटे पत्थर और रेती निकलकर रोग दूर हो जाता है।

मात्रा: 1 से 3 गोली दिन में 2 से 3 बार दूध या जल के साथ दें।

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