ब्राह्मी वटी
बुखारके पीछे की निर्बलता, लंबे समयका बुखार, मश्तिष्ककी कमजोरी,
ह्रदयकी निर्बलता, स्मरण शक्तिका अभाव, धातुस्त्राव, आदि विकारोको मिटाती है। बुखारको
उतारनेमे उपयोगी है। मोतीजरे (Typhoid)मे विशेष बेचैनी, प्रलाप, अतिसार (Diarrhoea),
पेट दर्द आदि लक्षणोमे ब्राह्मी वटी हितावह है। वातप्रधान और कफप्रधान सन्निपात (Eruptive Fever)मे मशतिष्कका रक्षण करती है तथा दोषके
पचनेमे सहायता पाहुचाती है।
ब्राह्मीको बुद्धिवर्धक
औषध माना गया है। इस ब्राह्मी वटीमे ब्राह्मी के उपरांत रससिंदूर, अभ्रक भस्म, वंगभस्म,
शुद्ध शिलाजीत, कालीमिर्च,
पीपल और वायविडंग यह सब औषध मिलाये गये है। इसके सेवनसे दिमाग तेज होता है और स्मरण
शक्ति भी बढ़ती है।
अगर दिमागमे दिन भर
खयाल आते रहते हो या बुरे खयाल आते रहते हो तो ब्राह्मी, शंखपुष्पी और जटामांसी इन तीनों के चूर्णोको बराबर मात्रामे
मिलाकर सुबह-शाम एक-एक छोटा चम्मच (Teaspoonful) लेनेसे एक-दो महीनेमे दिमाग शांत हो जाता
है और खयाल आने बंद हो जाते है। यह हमारा आजमाया हुआ नुस्खा है। यह हमारे इस लेखका
विषय नहीं है फिर भी हमने बता दिया जिससे सायद किसीको फाइदा हो जाये।
मात्रा: 1 से 2
गोली दिनमे 2 समय दूधके साथ देवे।
Brahmi
vati is useful in long-term fever, eruptive fever, spermatorrhoea, mental
debility, general debility and loss of memory.
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