गुरुवार, 3 मई 2018

वज्र (हीरा) भस्म के फायदे / Benefits of Vajra (Heera) Bhasma


वज्र भस्म सब प्रकारके वातरोग (Musculoskeletal Disorder), पित्तप्रकोप, कफवृद्धि, त्रिदोष, शोथ ( सूजन-Swelling), क्षय (T.B.), भ्रम ( चक्कर-Giddiness), भगंदर (Fistula et ano), प्रमेह, मेद (Obesity), पांडु (Anaemia), उदररोग (पेट के रोग-Abdominal Diseases), नपुंसकता (Impotency) आदि रोगो को दूर करती है। क्षय (TB)की दूसरी अवस्थामे तो लाभ पहुंचाता ही है, परंतु तीसरी अवस्थामे भी वज्र भस्मवाला रसायन त्वरित लाभ पहुंचाता है, विविध रोगोके किटाणुओको नष्ट करता है; वातवाहिनियों और उनके केंद्र स्थानो को दृद्ध बनाता है; और जीवनीय शक्ति को सबल बनाता है। इन कारणो से वज्र भस्म मिश्रित प्रयोग अनेक कठिन रोगो में उपकार दर्शाते है। 

संक्षेप में वज्र भस्म शारीरिक और मानसिक निर्बलताको दूरकर शरीरको वज्र समान बलवान और कांतिवान बनाती है, तथा आयुकी वृद्धि करती है।

मात्रा: 1/100 से 1/10 रत्ती (1 रत्ती = 121.5 mg) दुग्ध शर्करा के साथ या अन्य औषधियों के साथ मिला कर देवे।

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