बुधवार, 18 अप्रैल 2018

वसंत कुसुमाकर रस के फायदे / Benefits of Vasant Kusumakar Ras

वसंत कुसुमाकर रस अंडकोष, ह्रदय, मस्तिष्क, पचनेन्द्रिय, जननेन्द्रिय और फुफ्फुसोंके लिये पौष्टिक, वीर्यवर्धक, कामोत्तेजक, मधुमेहध्न (Cures Diabetes) और मानसिक निर्बलताका नाश करनेवाला है।

जीर्ण (पुराना) मधुमेह (Diabetes) और उसके उपद्रव रूप ह्रदयविकार, श्वास, कास, इंद्रियदौर्बल्य आदि एवं प्रमेहपिटिका (Carbuncle), शुक्रक्षयके पश्चयातकी निर्बलता, जरासा विचार आते ही शुक्रपात होना, नपुंसकता (Impotency), मुत्रपिंड (Kidneys)की विकृति, स्मरणशक्ति मन्द होना, भ्रम, निंद्रानाश, जीर्ण रक्तपित्त (Long-term Haemoptysis), ह्रदयकी निर्बलता, शुष्क कास (सुकी खांसी), थोडा परिश्रम होनेपर श्वास भरजाना, वृद्धावस्थामे श्वास (Asthma), कास (खांसी), ह्रदय या यकृत (Liver)की विकृति, जीर्ण सर्वांग शोथ (लंबे समय से पूरे शरीर में सूजन), स्त्रियोंके नूतन प्रदर, जीर्ण श्वेतप्रदर (White Discharge), सबको शमन करनेमे वसंत कुसुमाकर रस उपयोगी है।

वसंत कुसुमाकर रस मधुमेह (Diabetes)मे अत्यंत हितकर है। अति व्यवाय (Sex=स्त्रीसेवन) और ओजक्षयसे होनेवाले जीर्ण मधुमेहमे निर्बलता, मानसिक दौर्बल्य, दिन-प्रतिदिन बढ़नेवाला शब्द-स्पर्श आदि गुणोकी ग्राहक इंद्रियशक्तिका क्षय, जोरकी आवाज और अधिक प्रकाशका सहन न होना, बात-बातमे क्रोध उत्पन्न होना, अनिश्चित वृति, विचार करनेकी शक्तिक कम हो जाना, इन्द्रिय शैथिल्य इत्यादि लक्षण प्रतीत होते हो, तो वसंत कुसुमाकर रस अत्यंत हितकर है।

अति व्यवायशोषी (Sex Adict)के मनोदौर्बल्य, इंद्रियशैथिल्य और शारीरिक निर्बलता बढ़नेपर स्त्रीदर्शन, या आवाज मात्रसे मनमे विकृति, शरीर निस्तेज हो जाना, जिसमे जननेन्द्रिय बिलकुल शिथिल हो जाना आदि लक्षण होते है, उसमे वसंत कुसुमाकर रस अत्यंत लाभदायक है।

अति स्त्रीसंग से या हस्तमैथुन से युवावस्था में शरीर निस्तेज हो जाता है, मानसिक दुर्बलता, इंद्रिय शिथिलता, स्तंभन शक्ति का अभाव, स्मरण मात्र से वीर्य स्खलन हो जाना, मानसिक विकृति से बहुत बार पागलपन जैसे चिह्न दिखते है, रोगी डरपोक स्वभाव का हो जाता है और साधारण बातों में बहुत चिंता करता रहता है, विचारो की अस्थिरता; यह सब लक्षण वीर्यहीन रोगी के है। इस वसंत कुसुमाकर रस का दूध की मलाई अथवा मक्खन या इसबगोल की भूसी और दूध के साथ सेवन करने से रोगी दिन प्रतिदिन उत्साही, तेजस्वी और वीर्यवान बन जाता है। 

अत्यंत व्यवाय (Sex)से ह्रदयदौर्बल्य, शुष्क त्रासदायक कास, श्वास, थोड़े परिश्रमसे श्वास भर जाना, धमनीका विकार, क्वचित मूत्रपिंडका विकार इन सबपर वसंत कुसुमाकर रस उपयोगी है।

कितनीही स्त्रियो को कही भी लगा की रक्तस्त्राव होने लगता है, फिर वह जल्दी बंद नहीं होता। मासिकधर्म मे जानेवाला रज स्त्राव सत्वर नहीं रुकता। इतना ही नहीं, कभी सुई लगजाय, तो उतनेमे भी रुधिर-स्त्राव होना, फिर वह भी जल्दी बंद नहीं होता। इस प्रकारके प्राकृतिक रक्तपित्त पर वसंत कुसुमाकर रस अति उत्तम काम करता है।

सूचना:  वसंत कुसुमाकर रस अत्यंत कामोत्तेजक होनेसे बढ़ी हुई कामोत्तेजना वालोको नहीं देना चाहिये, अन्यथा उसके मनपर बहुत खराब असर होकर शुक्रक्षय अधिक करने के लिये प्रवृति हो जाएगी।  

मात्रा: 125 mg दूध-मिश्री, मलाई या मक्खन-मिश्रीके साथ सुबह-शाम।

घटक द्रव्य: प्रवाल पिष्टी, रससिंदूर, मुक्ता पिष्टी और अभ्रक भस्म 4-4 भाग। रौप्य भस्म और सुवर्ण भस्म 2-2 भाग। लोह भस्म, नाग भस्म और वंग भस्म 3-3 भाग। भावना: आड़ुसे का रस, हल्दी का क्वाथ, ईख का रस, कमल के फूलो का रस, मालती पुष्प का रस, गाय का दूध, केले के खंभे का रस, कस्तुरी और चंदन का फांट।

Vasant Kusumakar Ras is nutritious for testicles, brain, digestion system and lungs. It promotes semen, libido, cures diabetes and mental debility.

Vasant Kusumakar Ras is also used for erectile dysfunction after over sex or masturbation. It is also used for those women who have problem of over bleeding during menstruation.

Vasant Kusumakar Ras is vitaliser and aphrodisiac. Used in diabetes mellitus and insipidus, pthisis, loss of weight, emanciating diseases and nervous debility. It is used as a haematinic.  It is given in sexual neurasthenia and impotency with other medicines. 

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