वैश्वानर चूर्ण बनानेका तरीका:
सैंधानमक और अजवायन 2-2 भाग, अजमोद 3 भाग, सौंठ 2 भाग और बड़ी हरड़ के छिलके 12 भाग ले। सबको मिला, कूटकर बारीक चूर्ण करे। यह चूर्ण आयुर्वेद स्टोरमे भी मिलता है।
उपयोग: यह वैश्वानर चूर्ण
उत्तम दीपन-पाचन और सारक (कब्ज को दूर करनेवाला) है। आमवात (Rheumatism), गुल्म (Abdominal Lump),
ह्रदयका भारीपन, बस्तीपीड़ा (मूत्राशय में पीड़ा),
प्लीहा (Spleen), सारे शरीर में बिच्छू के काटने के समान पीड़ा
होना, अफरा,
अर्श (Piles-बवासीर)) आदि गुदा के रोग, मल-मूत्रावरोध, उदररोग (पेट के रोग), हाथ-पैरो की नसे खींचाना इत्यादि रोगो को
नष्ट करता है, और वात की गति को अनुलोमन (नीचे की तरफ) करता है।
मात्रा: 4-6 माशे (1 माशा = .97 ग्राम ) दिनमे 2 बार दहीका तोड़,
कांजी, मट्ठा,
धृत या गुनगुने जलके साथ देवे।
Vaishvanara
churna is digestive and mild laxative. It is useful in rheumatism, abdominal
lump, spleen, body ache, flatulence, piles and diseases of the anus.
Vaishvanara churna cures diseases like constipation, retention of urine,
abdominal diseases and contraction of muscles of hand and feet.
Dose: 4
to 6 gram two times a day with lukewarm water.
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