शिवाक्षार पाचन चूर्ण (Shivakshar Pachan Churna) वायु, अजीर्ण, कब्ज,
आफरा, हिचकी,
वमन (उल्टी), अरुचि,
शुल (Colic), हैजा और कृमि आदि रोग नष्ट करता है। इस
चूर्ण से अग्नि प्रदीप्त होती है, आम (आम=अपक्व अन्न रस जो एक प्रकार का विष बन जाता है और शरीर में रोग पैदा करता है) पचन होता है, अपान वायु (यह वायु पक्वाशय में रहती है। यही मल, मूत्र, शुक्र, गर्भ और आर्तव को
निकालकर बाहर डालती है। इसके कुपित होने से मूत्राशय और गुदा से संबंध रखनेवाले
रोग होते है।) शुद्ध होती है तथा मलावरोध (कब्ज) दूर होता है। शिवाक्षार पाचन चूर्ण (Shivakshar Pachan Churna) पाचक, अग्निप्रदीपक, यकृत (liver) शक्तिवर्धक और सारक (Mild Laxative) है। इस चूर्णका उपयोग
अधिकतर पेट में भारीपन होनेपर होता है। जब आमाशय (Stomach) के पित्तमें अम्लता बढ़ने तथा
यकृतमेंसे पित्तस्त्राव कम होनेसे पेट में वायु भरा रहता है, शुल चलता रहता हो,
और शुद्धि न होती हो, अंत्रमे सूक्ष्म कृमि बने रहते हो, तब इस चूर्णके सेवन से तत्काल लाभ होता है। यह चूर्ण
यकृत पित्त को सबल बनाता है, आमका पचन करता है; पेट में संगृहीत वायु को बाहर निकालता है, किटाणुओं को नष्ट करके उदर (पेट) में उत्पन्न होनेवाली दुर्गंध
को दूर करता है तथा शौचशुद्धि करानेमें सहायता पहुंचाता है। यह सामान्य औषधि होते
हुए भी विकृत पचन क्रिया और निर्बल यकृत वालोके लिये अति हितावह है।
मात्रा: 3 से 4
माशे दिनमें 2 बार जलके साथ ले।
शिवाक्षार पाचन
चूर्ण बनाने का तरीका (Shivakshar Pachan Churna Ingredients): हिंग्वष्टक चूर्ण, छोटी हरड़ का चूर्ण और शुद्ध सज्जीखार, तीनों समभाग लें। सबको मिला बोतल में भरें।
Ref: आयुर्वेद निबंध माला
Shivakshar Pachan Churna is useful in gas, constipation, anorexia, colic, flatulence, vomit and diarrhoea.
Read
more:
Mandagni thik Karne ke upay
जवाब देंहटाएंIs churn Ki Kitani mates Lena chahiye
जवाब देंहटाएंI इस चूर्ण की कितनी मात्रा लेनी चाहिए
जवाब देंहटाएं