यह सर्वतोभद्र रस
अग्निमांद्य, आमवृद्धि,
विसूचिका, वात-कफ प्रकोप, पित्त-कफ प्रकोप,
आनाह, मूत्रकुच्छ, संग्रहणी, वमन,
अम्लपित्त, शीतपित्त,
रक्तपित्त, पित्तप्रकोपज जीर्ण ज्वर, धातुस्थ विषमज्वर,
पाँच प्रकारकी कास, कामला,
पाण्डु आदि रोगोंको दूर करता है। आमाशयका पित्त दूषित होनेपर अम्लपित्त, विदग्धाजीर्ण, उदरमें भारीपन बना रहना, मुखपाक, खट्टी वमन आदि विकार उपस्थित होते है।
उनके लिये यह रसायन अति लाभदायक है। आमाशयके पित्तप्रकोपको शमन कर पचन क्रियाको
सुधारता है।
मात्रा: २ से ४
गोली दिनमें २ बार शहद, मिश्री,
जल, अनार रस या कच्चे नारियलके जलके साथ।
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