यह मौक्तिक रसायन
शीतवीर्य, निर्बलतानाशक और आयुवर्द्धक है। मूल
ग्रंथकारने इसका सेवन 1 वर्ष पर्यन्त करनेका लिखा है। इसके सेवनसे नेत्रज्योति
बढती है और सौ वर्षकी आयु भोगता है, स्मरणशक्ति, विचारशक्ति, धारणा शक्ति, धैर्य, विनय आदिकी वृद्धि होती है।
शास्त्रार्थमें विजय पाता है। इसके सेवनसे वन्ध्याको पुत्रकी प्राप्ति होती है।
सूतिका रोग दूर होता है। बालकों के लिये यह रसायन अत्यंत हितकारक, उत्तम वृष्य और आयुवर्द्धक है। स्त्रियोंके नागोदर और
उपविष्टक ( गर्भाशयमें गर्भ सूख जाना या चिपक जाना ) को जल्दी दूर करता है।
सगर्भाके सब रोगोंको दूर करके गर्भको सबल बनाता है।
मात्रा: 2-2
रत्ती (1 रत्ती = 121.5 mg) दिनमें 1 बार सुबह शहद-पीपलके साथ लें।
I am suffering with depression..
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