शुक्रवार, 6 अप्रैल 2018

अभयारिष्ट के फायदे / Benefits of Abhayarishta


अभयारिष्ट (Abhayarishta) सब प्रकारके अर्श (बवासीर), आठों प्रकार के उदररोग (पेटके रोग), मलावरोध (कब्ज) और मूत्रावरोध को दूर करता है, तथा अग्नि को प्रदीप्त करता है।

अभयारिष्ट (Abhayarishta) उत्तम सारक (Mild Laxative), मूत्रल और पाचक है। इसका उपयोग कोष्टबद्धता  (कब्ज) पर अत्युत्तम होता है। कब्ज में तीव्र रेचक औषधि देनेसे अंत्र (Intestine) निर्बल बन जाते है। फिर अंत्र की पुरःसरण क्रिया (मलको आगे धकेलने की क्रिया) मंद हो जाती है। फलतः कब्ज का व्याधि कम होने के स्थान में और बढ़ जाता है। कब्ज के कारण सरीर में अनेक रोग पेदा होने लगते है।

अभयारिष्ट (Abhayarishta) के सेवन से अंत्र की पुरःसरण क्रिया सम्यक (योग्य) प्रकार से होकर मलनिःसरण कार्य योग्य होता है। सेंद्रिय विष की उत्पत्ति नहीं होती। अर्श (बवासीर)रोग में शौचशुद्धि न होना, यह प्रमुख लक्षण होता है। अभयारिष्ट के सेवन से कब्ज और यकृतशैथिल्य नष्ट होजाता है और अर्शरोग दूर होजाता है।

मात्रा: 1.5 से 2.5 तोले (18 से 30 ग्राम) समभाग जल मिलाकर लें।
10 से 20 ml समभाग पानी मिलाकर भोजनके बाद सुबह-शाम।

अभयारिष्ट घटक द्रव्य और निर्माण विधि (Abhayarishta Ingredients): हरड़ 5 सेर, मुनक्का 2.5 सेर, वायविडंग 40 तोले और महुवे के फूल 40 तोले लें। सबको जौकूटकर जल 4016 तोले मिलाकर क्वाथ करें। चतुर्थांश जल शेष रहने पर उतारकर छान लें। शीतल होनेपर गुड 5 सेर; गोखरू, निसोत, धनिया, धाय के फूल, इन्द्रायण की जड, चव्य, सौंफ, सोंठ, दंतीमूल, मोचरस, प्रत्येक 8-8 तोले लेकर जौकूट चूर्ण कर मिला लें। फिर अमृतबान में भर मुखमुद्रा करके 1 मास रख दें; पश्चात छान लें।

Ref: भैषज्य रत्नावली
Abhayarishta is useful in constipation, piles and abdominal diseases. It is extremely useful in constipation.


Read more:




Previous Post
Next Post

0 टिप्पणियाँ: