चन्द्रामृत रस वातपित्तप्रधान, वातश्लेष्मप्रधान, पित्तश्लेष्मप्रधान वातिक और पैत्तिक कास (खांसी), रसयुक्त कास, शुष्क कास,
कफकास, श्वासयुक्त कास, ज्वरसह श्वास, तृषा (प्यास),
दाह (जलन), भ्रम,
प्लीहा (Spleen), गुल्म (Tumour),
उदररोग (पेट के रोग), आनाह (अफरा),
कृमि, हृदयरोग,
पाण्डु (Anaemia), जीर्णज्वर (पुराना बुखार),
आदि रोगो को दूर करता है। खांसीकी तीक्ष्ण व्याधिको एक-दो दिनमे ही शांत कर देता
है तथा अग्नि बल और वीर्य की वृद्धि करता है।
मात्रा: 1 से 2
गोली दिनमे 2-3 बार बकरीके दूध, वासास्वरस,
कुथलीके क्वाथ, कमलके रस,
शहद-पीपल या अदरकके साथ।
अति सुंदर
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