यह अमृतप्राश धृत मनुष्योके लिये अमृत रूप ही है। यह शीतवीर्य, उत्तम पौष्टिक अवलेह है। यह कृश, क्षीणवीर्य, क्षीणदेह,
और क्षीण स्वरवालेको मोटा और बलवान बना देता है। एवम यह कास, हिक्का, ज्वर,
क्षय, रक्तपित्त,
श्वास, तृषा,
दाह, पित्तप्रकोप, वमन, मूर्छा,
ह्रदय रोग, योनिरोग,
मूत्ररोग आदिको भी नष्ट करता है। एवं यह मतानप्रद और पौष्टिक है। यह धृत
राजयक्ष्मा और बालकोके सूखा रोगमें हितकारक है। विशेष स्त्रीसमागम करनेवाले, दुर्बल और ज्वर आदि रोगसे मुक्त हुए निर्बल
मनुष्योंको पुष्ट बनाता है।
मात्रा: आधासे एक
तोला तक दिनमें दो बार गौदुग्ध या अन्य दुग्धके साथ सेवन करे।
1 तोला = 11.6638
ग्राम
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