पुष्पधन्वा रस (Pushpadhanva Ras) अत्यंत कामोत्तेजक और शुक्रवर्धक है। अंडकोष, फलवाहिनी और शुक्रवाहिनी की निर्बलतासे आई
हुई नपुंसकता, मानसिक दोषसे होनेवाली नपुंसकता, स्मृति नाश (loss of
memory), निद्रानाश, शुक्र का पतलापन, इंद्रियकी शिथिलता (Erectile Problem), स्त्रियों के बीजकोष (Ovaries)का विकास न होनेवाला वंध्यत्व, स्त्रियों के नये अस्थिक्षय (हड्डी कमजोर होजाना), शुक्रमेह (पेसाब के साथ शुक्र जाना), लालामेह और प्रमेह के कारण से होनेवाली नपुंसकता
आदि रोगो को दूर करनेवाली औषधियो में पुष्पधन्वा रस प्रथम श्रेणीका माना गया है।
नपुंसकत्व अनेक
कारणो से आता है। इनमें अंडकोष (Testicles), फलवाहिनिया, शुक्राशय (Seminal Vesicle), शुक्रवाहिनिया (Sperm Duct = शुक्र नलिका) आदि का योग्य विकास न होना, यह भी एक कारण है। यदि इन करणों से नपुंसकता आई हो, तो पुष्पधन्वा रस का उपयोग होता है। इससे पुरुषो के
अविकसित अंडकोष और स्त्रियों के अविकसित बीजाशय (Ovaries)का
योग्य विकास होता है और नपुंसकता दूर होती है।
अनेक
व्यक्तियों को मानसिक कारणो से आई हुई नपुंसकता या कुच्छ अंश में आई हुई नपुंसकता इस
रस के सेवन से दूर हो जाती है। अन्य कारणो से बीच-बीच में आने वाली नपुंसकता और फिर
चेतना आना, ऐसा होने पर पुष्पधन्वा रस (Pushpadhanva Ras) का उत्तम उपयोग
होता है। अति व्यवाय (यौनक्रिया) और उससे उत्पन्न स्मृतिनाश या
निद्रानाश पर इस रसका अच्छा उपयोग होता है।
ब्रह्मचर्य पालन
प्रयत्न करनेपर निंद्रानाश हुआ हो, तो उसपर इस रसका उपयोग बिल्कुल नहीं करना
चाहिये; वरना विपरीत परिणाम आता है।
अति व्यवायी (समागम अथवा हस्तमैथुन करनेवाले) मनुष्यो को व्यवाय-विषयक या स्त्री संबंधी
विचार आनेपर शीर्षशूल (headache) उत्पन्न होकर शुक्र स्खलन हो जाता है फिर
शीर्षशूल की निवृति होती है। यह स्खलन इंद्रिय
शैथिल्यावस्था में ही जोता हो, तो उसपर इस औषधि का उत्तम उपयोग होता है।
स्त्रियोंके
बीजाशयों (Ovaries) का योग्य विकास न होनेसे उत्पन्न
होनेवाले वंधत्व पर यह औषध उत्तम प्रकारसे कार्य करता है। स्त्रियोंके उत्पन्न
होनेवाले एक प्रकारके अस्थिक्षय में पुष्पधन्वा रस उत्तम लाभदायक है। इसमें अस्थि
(हड्डी) मे मृदुता आती है। विशेषतः नितंबास्थि मृदु होनेपर चलने में विलक्षण गति
होती है। मुडकर चलना पडता है। पैरो को उठाकर आगे बढ़ाना पडता है; परिश्रम मालूम पड़ता है;
कभी-कभी अन्य स्थानो की हड्डियों पर भी गाँठे होजाती है। यह विकार अति जीर्ण
(पुराना / लंबे समय का) हो, एवं अशक्त और निर्बल स्त्री, जो बार-बार सगर्भा होती रहती हो, उसे यह विकार हुआ हो,
साथ साथ अन्य इंद्रिया भी अति क्षीण हो गई हो,
तो नागभस्म का उपयोग करना चाहिये। किन्तु विकार अति पुराना न हो, या मानसिक विकृति के लक्षण अधिक हो, तो यह रस उत्तम काम करता है।
मधुमेह (Diabetes) के
उपद्रव से या व्यभिचार के लक्षण रूपसे नपुंसकता आई हो,
तो पुष्पधन्वा रस उपयोगी है। शुक्रमेह और लालामेह (शुक्रका अपने आप निकलना) पर यह
अत्युत्तम है।
मात्रा: 1 से 2
गोली दिनमे 2 बार दूध, घी, मक्खन,
मलाई अथवा शहदके साथ लेवें।
पुष्पधन्वा रस घटक द्रव्य
(Pushpadhanva Ras Ingredients):
रससिंदूर द्विगुण गंधक-जारित या पारद भस्म, नाग भस्म,
लोह भस्म, अभ्रक भस्म और वंग भस्म, ये 5
औषधियाँ समभाग मिला, धतूरा, भांग,
मुलहठी, सेमल की छाल और नागरबेल के पत्तों के रस
की 1-1 भावना।
Ref: भै. र.
(भैषज्य रत्नावली)
Pushpadhanva
ras is aphrodisiac and it is useful in impotency, lower sperm count, spermatorrhea
and loss of memory, sleeplessness and erectile problems.
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