शुक्रवार, 15 जून 2018

एलादि वटी के फायदे / Eladi Vati Benefits

एलादि वटी (Eladi Vati) के सेवन से उरःक्षत (छाती का मांस फटना), शोष, ज्वर (बुखार), खांसी, श्वास, हिचकी, वमन (उल्टी), भ्रम (चक्कर), मूर्छा (Fainting), मद (नशा), तृषा (प्यास), थुक मे खून आना, पसलियो की पीडा, अरुचि, प्लीहा (Spleen), उरुस्तंभ (Paraplegia = कमरसे नीचे का पक्षघात), रक्तपित्त (रक्तस्त्राव = Haemorrhages or Haemoptysis) और स्वरभंग (गला बैठना) आदि रोग नष्ट होते है, एवं पित्तप्रकोप का शमन होकर बेचैनी भी दूर होती है।



शुष्क कास (सुखी खांसी) मे जब शांति नहीं मिलती, छाती मे दर्द बना रहता है, दाह (जलन) होती है, ज्वर (बुखार) भी रहता है, उसपर यह वटी अति हितकारक है। क्षय (T.B.) की प्रथम अवस्था मे शुष्क कास होती है, उसपर भी एलादि वटी (Eladi Vati) लाभ पहुंचाती है। सुखी खांसी मे इसके चूसने से कफ ढीला होकर आसानी से निकल जाता है। एलादी वटी संग्राहक, वेदनाशामक और निंद्राप्रदायक दवा है। एलादि वटी सभी पित्त विकारोमे और पैत्तिक खांसीमे लाभकारक है।

एलादि वटी (Eladi Vati) उक्त रोगों में द्रव्यों के गुण के कारण विशेष लाभप्रद है। यह वात-पित्त नाशक, पोषक, सूजन, जलन, तृष्णा और पुराना बुखार नाशक है। रुक्षता (सूखापन) और उष्णता के कारण उत्पन्न हुये रक्तपित्त (मुंह या नाक से खुन निकलना) तथा अंत्र श्लेष्मकला (Mucous Membrane) विकार अर्थात श्लेष्मकला क्षत (Ulcer), व्रण और शोथ (सूजन) आदि इसके सेवन से दूर हो जाते है। यह मुखमें रखकर चूसते रहने से अधिक लाभ देती है।

मात्रा: 2 से 3 गोली दिन मे 3 बार दूध के साथ दे। या 1-1 गोली मुंह मे रखकर चूसते रहे।

एलादि वटी बनाने का तरीका (Eladi Vati Ingredients): इलायची, तेजपात, दालचीनी, प्रत्येक 7.5 माशे, पीपल 2.5 तोला, मिश्री, मुल्हैठी, खजूर और मुनक्का 5-5 तोले। सब द्रव्यों को भलीभांति मिश्रित करलें। तत्पश्चात शहद में मिलाकर 4-4 रत्ती की गोलियां बनालें। (1 माशा=0.97 ग्राम, 1 तोला=11.66 ग्राम, 1 रत्ती=121.5 mg)

Ref: चक्रदत्त
   
Eladi vati is useful in fever, cough, haemoptysis, asthma, hiccup, vomiting, fainting, anorexia and paraplegia.

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